सिर्फ मानव शरीर के लिए ही नहीं अपितु इस ब्रहमांड में उपस्थित प्रत्येक जीवधारी के लिए उसका शरीर का कोई भी अंग बेहद महत्वपूर्ण होता है | लेकिन यहाँ पर मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंग आँख की बनावट एवं उसके कार्य के बारे में हम जानने की कोशिश करेंगे | आँखें यद्यपि हर जीवधारी की महत्वपूर्ण अंग होती हैं जिससे कोई भी जीवधारी इस ब्रहमांड को देख सकता है | ठीक इसी प्रकार मानव शरीर में भी आँखों की अहम् भूमिका होती है तो आइये जानते हैं आँख की बनावट के बारे में |

आँख की बनावट:
मानव शरीर यानिकी हमारे शरीर में आँखे, भोंहों के नीचे, नाक के दाहिनी एवं बायीं ओर एवं कपाल के गड्ढ़ों में रहती है | कपाल के जिन गड्ढ़ों में आँखे स्थित होती हैं उन्हें नेत्रगुहा कहते हैं | इसी नेत्रगुहा में आँख का गोला जिसे अक्षिगोलक भी कहा जाता है विराजमान रहता है | इसके ऊपर दो पलकें रहती हैं जो अनेक आपदाओं जैसे गर्द इत्यादि से आँखों को बचाती हैं | आँख की बनावट में पलकों में आगे की तरफ बाल रहते हैं जो आखों की विभिन्न आपदाओं से सुरक्षा करते हैं | यदि हम प्रत्येक आँख की बनावट की बात करें तो यह कैमरे से काफी मिलती जुलती है | अक्सर होता यह है की जिस प्रकार कैमरे में एक लैंस होता है ठीक उसी प्रकार आँख में भी एक लैंस होता है जिसे स्फटिक ताल कहा जाता है | ऊपर की पलकों के साथ, नेत्रगुहा के अगले और ऊपर वाले भाग में एक ग्रंथि होती है जिसे अश्रुग्रंथि कहा जाता है, इसी अश्रुग्रंथि में से ही आंसू बाहर निकलते हैं |
आँखों में दृष्टी उत्पन्न होने की प्रक्रिया:
जहाँ तक आँख की बनावट के अंतर्गत द्रष्टी उत्पन्न होने का सवाल है प्रकाश की किरणें सबसे पहले क्लीनिका पर पड़ती है प्रकाश की किरणें क्लीनिका में से होती हुई अग्रकोष्ठ की ओर अग्रसित होती हैं और फिर वहां से पुतली में होती हुई ताल में से गुजरती हैं | ताल में से गुजरकर ये किरणें स्फटिक द्रव्य में जाती हैं और यहाँ से अन्त: पटल पर पड़कर उलटी एवं छोटी सी तस्वीर बनाती हैं | प्रकाश की किरणें जब अन्त: पटल पर गिरती हैं तो वात संवेदना पैदा होती है | यही वात संवेदना अन्त: पटल से दृष्टी नाड़ी द्वारा मष्तिष्क के पिछले भाग में जाकर दृष्टी उत्पन्न करती हैं | आँख की बनावट ऐसी है की ये मस्तिष्क से कनेक्ट रहती हैं इसलिए हम जो कुछ भी देखते हैं वह वास्तव में मस्तिष्क से देखते हैं |
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