बालों की पर्मिंग केशों को घुंघराला बनाने का एक ऐसा तरीका है जो आजकल काफी प्रचलन में है। पहले गर्म किए कर्लिंग रॉड, रोलर आदि से केशों को घुंघराला किया जाता था, पर अब बालों की पर्मिंग द्वारा यह क्रिया सरल व टिकाऊ हो गई है । पर्मिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न रसायनों द्वारा केशों की मूल संरचना को बदल दिया जाता है । इस प्रक्रिया के लिए वेविंग लोशन और न्यूट्रीलाइजर को प्रयोग में लाया जाता है । इन रसायनों का प्रयोग करके लकड़ी या प्लास्टिक के पतले-पतले रोलर द्वारा केशों में वेव्स तथा कर्ल बनाए जाते हैं । वेविंग लोशन केशों को मुलायम बनाता है जिससे उनमें वेव्स आसानी से बन जाती हैं । न्यूट्रीलाइजर केशों की वेव्स को बनाए रखता है और वेविंग लोशन की क्रिया को बंद करता है । सही ढंग से बालों की पर्मिंग करने तथा केशों की उचित देखरेख करने से यह 6 से 8 सप्ताह तक बनी रहती है । आधुनिक पर्म में हल्की-सी कंडीशनिंग के गुण भी विद्यमान होते हैं, जो पर्मिंग के दौरान केशों को सुरक्षा प्रदान करते है ।

बालों की पर्मिंग से पूर्व सावधानियां:
- बालों की पर्मिंग कराने से पूर्व सौंदर्य विशेषज्ञा से राय अवश्य लें कि आपके लिए कौन-सा पर्म अधिक उपयुक्त रहेगा ।
- पर्मिंग की शैली अन्य हेयर ड्रेसिंग शैलियों से अधिक लंबी और पेचीदा होती है, इसलिए स्वयं पर्मिंग करना कठिन होता है । इसके लिए किसी कुशल, सौंदर्य विशेषज्ञा की मदद अवश्य लें ।
- केशों की अवस्था और प्रकार को ध्यान में रखकर ही बालों की पर्मिंग कराएं ।
- अगर केशों में लचीलापन नहीं है तो पर्म न कराएं क्योंकि पर्म कराने से इनके टूटने का खतरा और बढ़ जाता है ।
- रूखे केशों में इतनी शक्ति नहीं होती कि वे रसायनों का प्रभाव झेल सकें, इसलिए ऐसे केशों की अच्छी पर्मिंग नहीं की जा सकती ।
- यदि पर्मिंग की भी जाए तो केश टूटेंगे या दोमुंहे हो जाएंगे, इसलिए केशों को नियमित ट्रिम और उनकी अच्छी तरह कंडीशनिंग कराने के बाद ही पर्म कराना चाहिए । इससे पर्म का परिणाम अच्छा आता है तथा रोलर्स भी केशों में ठीक प्रकार से लगते हैं ।
- अगर सौंदर्य विशेषज्ञा का हाथ कटा-फटा हो या त्वचा संवेदनशील हो तो बालों की पर्मिंग करते समय उसे रबड़ के दस्ताने प्रयोग करने चाहिए ।
- एक्जीमा तथा जुकाम की हालत में पर्मिंग न कराएं । मासिक धर्म के दिनों में भी इससे बचें क्योंकि इस समय हारमोंस में बदलाव होता है । ऐसी अवस्था में पर्मिंग कराने से एलर्जी भी हो सकती है ।
- पर्मिंग कराने से पूर्व अपनी नाक और कान के आभूषण उतार दें । उसके बाद अपनी गर्दन के चारों तरफ कोई साफ कपड़ा या तौलिया लगा लें ।
- पर्मिंग की प्रक्रिया में लोशन का सावधानीपूर्वक प्रयोग किया जाना चाहिए क्योंकि इससे कपड़ों पर धब्बे व त्वचा पर दुष्प्रभाव भी पड़ सकता है । एक बार पर्मिंग करने के पश्चात दोबारा पर्मिंग कराते समय बचे हुए लोशन का प्रयोग पुनः न करें । इससे केशों पर बुरा असर पड़ सकता है ।
- सोल्यूशन का प्रयोग करने से पूर्व डिब्बे तथा बोतल के लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन अवश्य करें क्योंकि अलग-अलग ब्रांडों के नियम कभी-कभी अलग भी होते हैं ।
- अच्छी पर्मिंग के लिए पर्म रोलर्स भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । पर्म रोलर चुनाव करते समय निम्न बातों का ध्यान रखेंपर्म करने से पूर्व हेयर लाइन व कानों के आगे-पीछे कोई प्रोटेक्टिव क्रीम अवश्य लगाएं, फिर उस पर रुई की पट्टी बांधे, ताकि लोशन का त्वचा पर कोई असर न पड़े ।
- पर्म करने के लिए धातु अथवा ब्रश वाले रोलर का प्रयोग हर्गिज न करें ।
- पर्म रोलर का प्रयोग कर्ल के साइज और शेप को ध्यान में रखकर ही करें । पर्म रोलर हल्के प्लास्टिक के या फिर लकड़ी के ही प्रयोग करें । ये लचकदार भी हों, ताकि पर्म करते समय केशों को कोई क्षति न पहुंचे ।
- पर्म में केशों को अलग-अलग हिस्सों में विभक्त करने का तरीका उनकी लंबाई पर निर्भर करता है । केशों की लंबाई को ध्यान में रखकर ही सही रोलर का प्रयोग करें । पर्मिंग में केशों के छोर पर ‘एंड पेपर्स’ का प्रयोग करें, उसके बाद ही केशों को रोलर पर लपेटें ।
- केशों में अच्छे कर्ल पाने के लिए उन्हें एक समान तनाव देते हुए रोलर पर ध्यानपूर्वक लपेटना चाहिए । रोलर को खोलते समय खींचकर नहीं बल्दि हल्के हाथों से सावधानीपूर्वक खोलना चाहिए । ऐसा न करने पर केशों के टूटने की आशंका रहती है ।
- रोलर लगाने के बाद इस बात की जांच अवश्य कर लें कि वे ठीक तरह से केशों में लग गए हैं या नहीं । कहीं ज्यादा कस तो नहीं गए या उनका बैंड कहीं से लूज तो नहीं है । अगर वह सही ढंग से न लगे हों तो उन्हें फिर से सही कर लें, नहीं तो केशों में ढीलापन आ जाएगा और वह पूरी तरह से पर्म नहीं हो पाएंगे ।
बालों की पर्मिंग कैसे की जाती है?
- केशों को ट्रिम करने के पश्चात शैंपू व कंडीशनर से अच्छी तरह से बालों को साफ करें । शैंपू करते समय उंगलियों के नाखूनों से सिर की त्वचा न तो खुरचें और न ही जड़ों को रगड़कर साफ करें, बल्कि हल्के हाथों में शैंपू व कंडीशनर लगाएं । केश धुल जाने पर तौलिए से पानी को सुखा ले । पर केशों को हल्का गीला ही रहने दें ।
- हल्के गीले केशों के 6 छोटे-छोटे भाग कर उनमें रोलर्स लगाएं । आधा-आधा इंच की चौड़ाई में केशों को कंघी करते हुए लटों के सिरों को ‘एंड पेपर के साथ रोलर्स में लपेटें । इसी तरह सिर के मध्य भाग को आगे व पीछे तरफ रोलर्स में लपेटा जाता है ।
- उसके बाद बालों के उन सभी भागों के हिस्सों में वेविंग लोशन इस तरह डाला जाता है कि वे पूरी तरह से भीग जाएं । थोड़े अंतराल पर पुनः डालें, तो केश दोबारा भीग जाएं । ध्यान रहे कि लोशन सिर की त्वचा पर न लगने पाए ।
- इसके बाद बालों की पर्मिंग के दौरान कर्ल टेस्ट भी अवश्य करें । इसके लिए 3-4 मिनट के अंतराल
- पर 1 लट को खोलकर वांछित परिणाम मिलने में कितनी देर लगेगी । इस बात का पता करने के बाद लट को फिर से उसी ढंग से लपेटकर पुनः उस पर वेविंग लोशन लगाएं । वैसे तो हरेक के केशों के अनुसार पर्मिंग टाइम भी अलग-अलग होता है, इसलिए वांछित पर्म न हो जाने तक बीच-बीच
- में यह जांच-परख आवश्यक है ।
- 10-15 मिनट के बाद रोलर्स लगे केशों को 5 मिनट तक कुनकुने पानी से धोएं, ताकि उनमें से सारा वेविंग लोशन ठीक से निकल जाए । फिर रोलर्स लगे केशों को हल्के हाथों से तौलिए से थपथपाकर सुखा लें या फिर तौलिए को सिर पर तब तक लपेटें, जब तक कि वह पानी न सोख ले ।
- रोलर्स लगे बालों में न्यूट्रीलाइजर डालें, ताकि वे भीग जाएं ।2-3 मिनट के बाद केशों को बिना खींचे सावधानीपूर्वक सभी रोलर्स निकालकर पुनः उन केशों पर न्यूट्रीलाइजर डाला जाता है । इससे कर्ल को स्थायी बनाया जाता है ।
- अब क्रीम कंडीशनर से सिर की मालिश करें । उसके बाद केशों को अच्छी तरह से साफ पानी से धोएं ।
बालों की पर्मिंग के बाद सावधानियां
बालों की पर्मिंग के पश्चात इनकी देखभाल पर अधिक सावधानी बरतें ।
- पर्म को शुरू में ब्रश नहीं करना चाहिए । रसायनों के कारण केश पहले से अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, इसलिए कठोर ब्रश करने से नुकसान हो सकता है, अतः सबसे पहले अपनी उंगलियों से स्टाइल देना अधिक प्रभावशाली रहता है । उसके बाद ही हल्के हाथ से ब्रश चलाना चाहिए ।
- बालों की पर्मिंग के पश्चात केशों को शैंपू से तुरंत नहीं धोना चाहिए, न ही ब्लो ड्राई का प्रयोग करना चाहिए । पर्म किए हुए केशों को पूरी तरह से स्थिर होने के लिए 3 दिन का समय अवश्य देना चाहिए । उसके बाद केशों की नियमित कंडीशनिंग अवश्य करें, ताकि उनमें नमी और तेल का संतुलन भी बना रहे और वे रूखे भी न होने पाएं ।
- यदि किसी प्रकार का कोई संदेह हो तो किसी कुशल हेयर स्टाइलिस्ट से संपर्क करें क्योंकि यह एक रासायनिक उपचार है । इसमें लापरवाही करने से केशों को नुकसान हो सकता है ।
- यदि एक बार में बालों की पर्मिंग का नतीजा सही न निकले तो दोबारा जल्दी-जल्दी न कराएं, अन्यथा बाल झड़ने लगेंगे ।
- एक बार पर्मिंग कराने के बाद कम-से-कम 3-4 माह बाद ही इसे दोहराना चाहिए ।
- पर्म केशों के लिए उपलब्ध ‘आफ्टर केयर’ प्रसाधन अवश्य खरीदें ।
- अपने हेयर ड्रेसर या किसी अच्छे केमिस्ट से पर्म को अधिक-से-अधिक समय तक स्थायी रखने के लिए उपयुक्त प्रसाधन की जानकारी अवश्य लें ।
- पर्म को हमेशा धूप से बचाना चाहिए । तेज अल्ट्रावायलेट किरणों से बालों का आवश्यक तेल सूख जाता है और केश कमजोर होकर झड़ने लगते हैं ।
- हिना बालों की पर्मिंग के प्रभाव को कम कर देती है, क्योंकि यह केशों की सोल्यूशन सोखने की क्षमता खत्म कर देती है । इसके लिए पहले पर्मिंग और बाद में हिना करें । पहले से हिना किए गए केशों पर पर्मिंग सोल्यूशन के केमिकल प्रतिक्रिया करके इसके रंग को पूरी तरह से हरेपन में बदल सकते हैं । इस रंग को निकालना असंभव हो जाता है ।
- बालों की पर्मिंग की प्रक्रिया में लगाए गए लोशनों के प्रभाववश धीरे-धीरे बाल शुष्क व बेजान होने लगते हैं, इसलिए केशों को साफ करने के लिए आप सौम्य शैंपू का प्रयोग करें जिसका नैचुरल मॉइस्चर आपके केशों के आवरण चमकदार बनाएगा ।
- बालों की पर्मिंग एक रासायनिक प्रक्रिया है, इसलिए इसे लगातार न कराएं, बल्कि थोड़े-थोड़े अंतराल पर कराएं, क्योंकि इसे लगातार कराने से बाल दोमुहें और शुष्क हो जाएंगे । पर्मिंग में विद्यमान तेज रसायनों से केशों को गह नुकसान न पहुंचे, इसके लिए केशों में नियमित कंडीशनर व हेयर मास्क का प्रयोग अवश्य करें ।
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