मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के तरीकों के बारे में हम विस्तार से वार्तालाप करेंगे लेकिन जैसा की हम अपने पिछले लेख में मिर्गी के लक्षणों कारणों एवं ईलाज की प्रक्रिया के बारे में बता चुके हैं इसलिए सबसे पहले मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों को हम सलाह देना चाहेंगे की अपने चिकित्सक द्वारा निर्देशित दवाई लेना कभी न भूलें। कभी भी अपने आप अपनी दवाओं में किसी प्रकार का कोई फेर-बदल न करें। कोई भी विपरीत प्रभाव दिखाई देने पर अपने डाक्टर को सूचित करें। और डाक्टर से पूछे बिना अपने आप दवा लेना बन्द न करें। अपने डाक्टर से नियमित रूप से अपनी जांच करवाएं । क्योंकि मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने में उपर्युक्त बातों का विशेष महत्व है |

मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन कैसे जिए :
मिर्गी की बीमारी के साथ अक्सर जीवन में अलग-अलग तरह की मुश्किलें आ सकती है, लेकिन इसके बावजूद पीड़ित व्यक्ति चाहे तो आनंदमय जिन्दगी व्यतीत कर सकते हैं | यदि मिर्गी से ग्रसित रोगी अपनी नियमित जिंदगी के लिए एक अच्छी योजना बना लें तो वह हर उस काम का आनंद उठा सकता हैं, जो वह करना चाहता है । मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए सबसे पहले तो यह जरूरी है कि प्रभावित व्यक्ति मिर्गी के कारण अपने आत्मविश्वास को न खोने दे, और अपने व्यक्त्वि को प्रभावित न होने दे, रोगी को चाहिए की वह नए-नए लोगों या परिस्थितियों से मिर्गी के बहाने आंखे-चुराने की कोशिश न करे, सम्पूर्ण विश्वास के साथ जीवन को सकारात्मक नजरिए से देखने की कोशिश करे, इससे मिर्गी से ग्रसित रोगी मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने में सक्षम हो पाएंगे |
मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
- मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए मिर्गी के रोग से ग्रसित व्यक्ति निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकता है |
- मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति को यह बात भूल जानी चाहिए की उसे मिर्गी का कोई रोग है, और वह सामान्य जीवन नहीं जी सकता ।
- हर तनाव और चिंता का सामना करने के लिए ग्रसित व्यक्ति को नए-नए उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है ।
- मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए मिर्गी के रोगी को अपनी रोजाना की जिंदगी की योजना इस तरह बनानी चाहिए कि वह काम, आराम और मनोरंजन सब कुछ कर सकें ।
- आहार का विशेष ध्यान रखे रोजाना स्वस्थ संतुलित भोजन ही करे ।
- नियमित व्यायाम करने के अलावा मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति अपने मनपसंद खेलों में भी हिस्सा ले सकते हैं ।
- मिर्गी के रोगी को चाहिए की वह मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए समय पर सो जाएं और बहुत ज्यादा थकने से हमेशा बचे ।
- यदि कभी यात्रा पर निकलना पड़ जाय तो निकलते समय अपनी दवाओं की पूरी खुराक साथ रखनी चाहिए ।
- इसके अलावा मिर्गी के रोगी को यात्रा के दौरान अपने साथ अपना पहचान पत्र अवश्य रखना चाहिए ।
क्या मिर्गी के साथ तैराकी और पानी में अन्य खेल खेले जा सकते हैं :
मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए क्या मिर्गी के रोगी तैराकी एवं पानी में अन्य खेल खेले जा सकते हैं | यद्यपि इस प्रश्न का जवाब एक लाइन या वाक्य में दे पाना मुश्किल है, क्योंकि मिर्गी की बीमारी यदि अनियंत्रित हो तो मिर्गी का दौरा कभी भी पड़ सकता है, इसलिए यदि यह दौरा किसी को तैराकी करते वक्त या पानी में खेले जाने वाले अन्य खेलों के दौरान पड़ जाय तो एक गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है | लेकिन इसके बावजूद कुछ थोड़ी बहुत सावधानियां अपनाकर मिर्गी के मरीजों द्वारा भी तैराकी का पूरा आनंद लिया जा सकता है | मिर्गी के मरीजों को तैराकी के समय अपने साथ किसी न किसी को अवश्य लेके जाना चाहिए और जिसे साथ लेके जा रहे हों उसे यह अवश्य बता देना चाहिए कि मुझे मिर्गी का दौरा पड़ता है । इसके अलावा मिर्गी के मरीजों को साथ वाले व्यक्ति को यह भी बताना चाहिए की दौरा पड़ने के दौरान वह रोगी की किस तरह मदद कर सकता है । इसके अलावा यदि मिर्गी के रोगी किसी सार्वजनिक स्विमिंग पूल में तैराकी कर रहे हैं तो वहां मौजूद सहायक कर्मचारी को भी अपनी बीमारी से अवगत करा दें | अक्सर होता क्या है की कई बार मिर्गी से ग्रसित मरीज तैराकी करने से डरते हैं या फिर इन्हें परिवारवालों, चाहनेवालों द्वारा तैराकी करने से रोका जाता है क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं तैरने के डर से इन्हें तैराकी के दौरान ही मिर्गी का दौरा न पड़ जाए । ऐसा हो सकता है, लेकिन तैराकी के दौरान निम्नलिखित सावधानियां अपनाकर इस स्थिति से निपटा भी जा सकता है |
- मिर्गी के रोगी को कभी भी अकेले तैरने नहीं जाना चाहिए ।
- मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए मिर्गी के रोगी को उसके साथ मौजूद व्यक्ति को उसकी बीमारी या दौरों के बारे में अवश्य बताना चाहिए |
- इसके अलावा रोगी को चाहिए की वह उसे यह भी बताये कि दौरा पड़ने पर उसे क्या करना चाहिए ।
- तैरने के लिए उसी जगह का चयन करें जहां विश्वास के साथ और सुरक्षित तैरा जा सके ।
- तैराकी पर निकलते समय किसी ऐसे व्यक्ति को साथ ले जाइये जो कुशल तैराक हो और मुसीबत में रोगी की मदद कर पाने में सक्षम हो ।
- अधिक गहरे पानी अर्थात साथी तैराक के कधे से अधिक ऊंचाई के पानी में नहीं तैरना चाहिए ।
- ऐसे मरीज जिनकी मिर्गी नियंत्रण में नहीं है उन पर किसी एक जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा तैराकी करते समय लगातार निगरानी रखी जानी चाहिए ।
क्या मिर्गी में शराब और ड्रग्स का उपयोग ठीक है? :
हालांकि यह प्रश्न ही गलत है क्योंकि नशीली चीजों का सेवन कभी आनंदमय जीवन जीने का प्रतीक हो ही नहीं सकता लेकिन चूँकि वर्तमान में शराब, ड्रग्स इत्यादि मादक पदार्थ समाज का हिस्सा बन चुके हैं इसलिए इन पर बात करना जरुरी हो जाता है | अब सवाल यह आता है की मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन जीने के लिए शराब एवं ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन किया जा सकता है तो इसका एक लाइन नहीं अपितु एक शब्द में जवाब दिया जा सकता है की नहीं, शराब एवं ड्रग्स मिर्गी के रोगी के लिए तो छोड़ो सामान्य मनुष्य के लिए भी ठीक नहीं है | क्योंकि ड्रग्स और शराब का मरीज की मानसिक स्थिति एवं मानसिक प्रक्रिया पर बेहद गहरा एव तुरंत प्रभाव पड़ता है । इसके अलावा चूँकि शराब भी एक तरह का ड्रग होता है, इसलिए यह मिर्गी के लिए ली जाने वाली औषधियों या ड्रग को भी प्रभावित कर सकता है और इन मादक पदार्थों से सबसे अधिक प्रभावित मनुष्य की स्मरण शक्ति और ध्यान लगाने की शक्ति, जो मानसिक प्रक्रिया कहलाती है होती है | यदि इन सबके बावजूद भी मिर्गी का कोई रोगी शराब का सेवन या अवैध ड्रग्स का इस्तेमाल करता है तो उस व्यक्ति को यह बात अपने डॉक्टर को अवश्य बतानी चाहिए । कभी भी दूसरों के कहने पर जबरदस्ती शराब पीने से बचना चाहिए, मिर्गी के मरीज को हो सके तो शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए, क्योंकि शराब के कारण मिर्गी का दौरा जल्दी और आसानी से पड़ सकता है और मिर्गी की बीमारी को ठीक या नियंत्रित करने के लिए चलाई गई दवाओं का भी असर बेअसर हो सकता है |
क्या मिर्गी में ड्राइविंग अर्थात वाहन चलाया जा सकता है :
हालांकि साधारण सी बात तो यह है की जिस मरीज की मिर्गी का रोग नियंत्रण में नहीं है उसे ड्राइविंग करने या वाहन चलाने से बचना चाहिए क्योंकि वाहन चलाते समय मिर्गी का दौरा पड़ना सिर्फ रोगी की जान ही नहीं बल्कि उस वाहन में बैठे अन्य लोगों एवं सड़क पर चल रहे अन्य लोगों की जान के लिए भी खतरा हो सकता है | वैसे देखा जाय तो अधिकतर देशों में मिर्गी व वाहन चालक के संबंध में कुछ विशेष कानून बनाए गए हैं । ये कानून इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि अगर मरीज के मिर्गी के दौरे पूरी तरह नियंत्रण में न हो तो गाड़ी चलाते समय कभी भी उसे दौरा पड़ सकता है इसलिए जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं की ऐसा होने से सिर्फ मरीज की जान को ही खतरा नहीं बल्कि गाड़ी में बैठे अन्य साथियों एवं सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों की जान को भी खतरा हो सकता है | इसलिए मिर्गी का रोगी गाड़ी चला सकता है या नहीं यह उसे डॉक्टर के अलावा और कोई नहीं बता सकता |
उपर्युक्त तरीकों को अपनाकर एवं दिए गए निर्देशों का सावधानी पूर्वक अनुसरण करके मिर्गी के साथ आनंदमय जीवन व्यतीत किया जा सकता है |