हींग के फायदे में सिर्फ यही फायदे सम्मिलित नहीं है की यह एक स्वादिष्ट एवं सुगन्धयुक्त मसाले के तौर पर उपयोग में लाया जाता है | अपितु हींग को एक ऐसा मसाला भी कह सकते हैं जिसमे अनेकों औषधीय गुण विद्यमान रहते हैं | इस मसाले का उपयोग केवल भारतीय खाना दाल सब्जी इत्यादि में नहीं किया जाता है बल्कि इसका उपयोग फारसी खाने में भी, फारसी खाने में स्वाद एवं सुगन्ध के मद्देनज़र किया जाता है | हींग नामक लगभग सभी रसोइयों में पाए जाने वाला यह मसाला फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, कैल्सियम, लौह कैरोटीन इत्यादि तत्वों से परिपूर्ण होता है | यही कारण है की विभिन्न चिकित्सा में प्राचीन काल से ही इसका उपयोग होते आया है, हींग में एंटी बायोटिक, एंटी ओक्सिडेंट, एंटी वायरल, एंटी इन्फ्लेमेट्री, इत्यादि गुण होने के कारण यह विभिन्न रोगों में लाभदायक होता है | हींग के फायदे जानने से पहले हम इसके स्वाद, रंग, प्रकृति इत्यादि के बारे में जानने की कोशिश करेंगे |

हींग का स्वाद, रंग एवं प्रकृति:
जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की भारतवर्ष में साधारणतया हींग का उपयोग दाल-सब्जी इत्यादि में स्वाद एवं सुगन्ध बढ़ाने के लिए किया जाता है | यही कारण है की इसे एक अन्य नाम ‘बघारनी के नाम से भी जाना जाता है । जहाँ तक हींग की उत्पति का सवाल है कहा जाता है की हींग नामक यह मसाला फेरूला फोइटिस नाम के पौधे का चिकना रस होता है । फेरूला फोइटिस नामक यह पौधा जिसकी ऊंचाई 60 से 90 सेमी तक हो सकती है अधिकतर तौर ईरान, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, ब्लूचिस्तान, काबुल और खुरासन के पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं । जहाँ तक हींग के रंग का सवाल है यह रंग में सफ़ेद, हल्का गुलाबी, सुर्खी मायल या पीला हो सकता है, हींग गंधयुक्त एवं स्वाद में कड़वा होता है इसकी प्रकृति गर्म एवं खुश्क होती है |
हींग की उत्पति कैसे होती है?
यद्यपि हम जानते हैं की आज का हमारा विषय हींग के फायदे यानिकी Asafetida benefits in Hindi का है और इसके बारे में हम अवश्य बात करेंगे लेकिन उससे पहले हम यह जान लेते हैं की इस हींग की उत्पति पेड़ों से होती कैसे है? कहा यह जाता है की हींग की उत्पति के लिए फेरूला फोइटिस नामक पौधे के पत्तों और छाल में हलकी हलकी चोटें की जाती हैं | और ऐसा करने से पौधे के पत्तों एवं छाल में से दूध निकलने की प्रकिया शुरू होती है, यही दूध जब पेड़ पर सूख जाता है तो यह गोंद में परिवर्तित हो जाता है इस गोंद को पेड़ एवं पत्तों से निकालकर सूखा लिया जाता है तथा सूखने के पश्चात यही पदार्थ हींग के नाम से जाना जाता है । वैद्य लोगों द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली हींग अधिकतर तौर पर हीरा हींग होती है जिसे सबसे बढ़िया माना गया है | अपने देश भारतवर्ष में भी इसकी बड़ी खपत होती है क्योंकि हींग के फायदे बहुत सारे रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं |
हींग के फायदे औषधीय गुण:
हींग के फायदे अर्थात औषधीय गुणों के बारे में जानने से पहले यह जान लें की हींग का औषधि के तौर पर अधिकतर उपयोग की जाने वाली मात्रा सवा दो ग्राम तक होती है |
- हींग के फायदे में पहला फायदा यह है की हींग पुट्ठे तथा दिमाग समबन्धी बीमारियों जैसे मिर्गी की बीमारी , फालिज, लकवा इत्यादि को ठीक करने में मदद करती है |
- हींग से आंखों की विभिन्न बीमारियों में भी लाभ प्राप्त होता है |
- हींग के फायदे में अगला फायदा यह है की यह भूख को बढाती तो है ही साथ में खाने को हजम करने में भी मददगार होती है |
- इसका उपयोग सर्दियों में बेहतर होता है क्योंकि यह शरीर में गरमी पैदा करने के अलावा आवाज को साफ करने में भी सहायक है ।
- देशी घी या तेल के साथ हींग का लेप करने से चोट तथा बाई जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है |
- हींग के फायदे में अगला फायदा कान से सम्बंधित है कान में हींग वाला तेल या घी डालने कान में आवाज का गूंजना तथा बहरापन इत्यादि दूर होता है ।
- हींग में जहर को समाप्त करने का भी गुण विद्यमान होता है |
- हवा में उपलब्ध जीवाणुओं, रोगाणुओं से होने वाली अनेक बीमारियों से भी हींग बचाने का काम करती है |
- हींग पचाने में हलकी होती है और तासीर में गर्म इसके अलावा यह कफ एवं वात को भी खत्म करने में सहायक होती है ।
- हींग के फायदे में अगला फायदा यह है की यह सांस की बीमारी एवं खांसी में भी बेहद लाभदायक होती है |
विभिन्न बीमारियों में हींग के फायदे एवं उपयोग की विधि:
यद्यपि उपर्युक्त वाक्यों में हम हींग के फायदे के बारे में जान चुके है लेकिन आगे हम विभिन्न बीमारियों में हींग के उपयोग विधि के बारे में जानेंगे |
- दांतों की बीमारी में भी हींग का उपयोग किया जा सकता है इसमें दांतों के दर्द से ग्रसित व्यक्ति को चाहिए की वह दर्द वाले दांत के नीचे हींग को दबाकर रखे, जिससे उसे दांत के दर्द में शीघ्र आराम मिलेगा |
- पीलिया नामक बीमारी में हींग के फायदे लेने के लिए प्रभावित व्यक्ति को हींग एवं गुलर के सूखे फलों का सेवन करना होगा | इसके अलावा हींग को पानी में घिसकर आँखों पर भी लगाया जा सकता है |
- कानों की विभिन्न बीमारियों में भी हींग के फायदे को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता इसलिए प्रभावित व्यक्ति को इसका फायदा लेने के लिए पहली विधि में सरसों का तेल लेना होगा और उसमे मुली के बीज, धतूरे के रस एवं हींग डालकर उस तेल को पकाना होगा, और जब यह तेल ठंडा हो जाय तो इसे कान के अन्दर डालने से कान के दर्द में राहत एवं बहरापन जैसे रोग को ठीक होने में मदद मिलती है |
- अपच की समस्या होने पर हींग के फायदे लेने के लिए हींग, अजवाइन , सेंधा नमक, छोटी हरण को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें | अब इस बनाये गए चूर्ण को प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम एक एक चम्मच लें इससे अपच की समस्या से छुटकारा मिलता है |
- किसी पागल कुत्ते के काटने के उपचार में भी हींग को उपयोग में लाया जा सकता है इसके लिए हींग को पानी में पीसकर लेप बनाना होगा और इस लेप को काटे गए स्थान पर लगाना होगा |
- पेशाब की रुकावट की समस्या से ग्रसित व्यक्ति भी हींग के फायदे लेने के लिए प्रतिदिन हींग का सेवन सौंफ के रस के साथ कर सकते हैं इससे पेशाब खुलकर आने में मदद होती है |