कुष्ठ रोग को कोढ़ भी कहा जाता है ग्रामीण समाज में अभी भी इस रोग के प्रति अनेकों भ्रांतियां व्यापत हैं उनमे से शायद एक भरन्ति यह भी है की यह यानिकी कुष्ठ रोग एक खानदानी रोग होता है जबकि यह बिलकुल भी सत्य नहीं है | बल्कि सच्चाई तो यह है की या रोग किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है और इस रोग से मनुष्य का केवन शरीर ही प्रभावित नहीं होता है अपितु यह रोग मानसिक रूप से भी उसे प्रभावित करता है | कुष्ठ रोग के जहाँ तक प्रकार की बात है यह दो प्रकार संक्रामक अर्थात फैलने वाला एवं असंक्रामक यानिकी नहीं फैलने वाला दोनों प्रकार का हो सकता है |

कुष्ठ रोग के कारण:
कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के संक्रमण से फैलता है । इस जीवाणु के शरीर में प्रविष्ट होने के तीन-चार वर्ष बाद इसका संक्रमण त्वचा में कुष्ठ के रूप में प्रकट होता है । इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति में रोग का जीवाणु रोगी के रोगग्रस्त भाग में तथा नाक के स्राव में पाया जाता है ।
कुष्ठ रोग के लक्षण:
कुष्ठ रोग के कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार से हैं |
- प्रारंभ में रोगी के शरीर के विभिन्न अंगों में खुजली होने लगती है ।
- धूप में जाने या थोड़ी-सी मेहनत करने पर त्वचा में जलन होने लगती है ।
- धीरे-धीरे त्वचा सुन्न निकलने लगती है ।
- त्वचा में लाल लाल चकते बनने लगते हैं |
- बाद में इस जगह पर घाव बन जाते हैं ।
कुष्ठ रोग का घरेलू उपचार:
घरेलू तौर पर कुष्ठ रोग का ईलाज करने के लिए निम्नलिखित नुस्खे अपनाये जा सकते हैं |
- शरपुंखा का अर्क 6-7 चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार रोगी को दें ।
- मेहंदी के 20 ग्राम पते रात को पानी में भिगो दें। सुबह अच्छी तरह से पत्तों को मसलकर छान लें और शहद मिलाकर रोगी को खाली पेट खिलाएं ।
- एक भाग मीठा तेलिया व दो भाग काली मिर्च लें। इन दोनों के बराबर काली हरड़ लें। काली हरड़ के बराबर ही चित्रक की छाल लें । इनको बारीक पीसकर इसमें थोड़ा सा गाय का घी मिला लें | अब इसमें इसके चार गुना शहद मिलाकर अवलेह बना लें | एक चम्मच दवा खाली पेट गुनगुने पानी के साथ रोगी को दें |
- एक चम्मच आंवला चूर्ण को एक चम्मच गाय के घी व दो चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार देने से भी कुष्ठ रोग में आराम होता है |
- काले तिल व बावची के बीजों की मोंगी का चूर्ण बराबर मात्रा में कूटकर रख लें । उसके बाद इस चूर्ण को सुबह शाम एक एक चम्मच शहद के साथ लिया जा सकता है |
- कुष्ठ रोग का घरेलु उपचार के लिए रोगी को गिलोय का दो चम्मच रस खली पेट दे सकते हैं उसके थोड़ी देर बाद रोगी को दो चम्मच काले टिल चबाने को दे सकते हैं | और इसके ऊपर से मिश्री मिला हुआ पाँव भर दूध रोगी को पिलाने से भी आराम होता है |
- आधा पाँव दही लें और उसके बाद तुलसी की पन्द्रह बीस पत्तियों को पीसकर दही में मिला लें और इसे प्रतिदिन सुबह शाम रोगी को खिलाएं | यदि दही नहीं है तो चार चम्मच शहद का भी प्रयोग कर सकते हैं |
- काली मिर्च, आंवला, गोमूत्र में शुद्ध की हुई बावची, हरड की छालएवं बहेड़े की छाल प्रत्येक एक भाग तथा नीम के फूल, पत्ते, जड़ व बीज प्र्त्यरेक दो भाग ले लें | सबको पीसकर छान लें | अब इस बनी दवाई को एक एक चम्मच सुबह शाम चार चम्मच मंजिस्थादी क्वाथ जो की एक आयुर्वेदिक दवाई है के साथ लें |
- कुष्ठ रोग से प्रभावित रोगी को करेला. जिमीकंद, बथुआ एवं लहसुन का प्रयोग अधिक से अधिक कराएँ खटाई एवं मिठाई दोनों का परहेज अवश्य कराएँ |
- नीम व चल्मोंग्र का तेल बराबर मात्रा में मिलकर रख लें व सुबह शाम घावों पर लगायें |
- केले की जड़ को सुखाकर व जलाकर पीस लें 1 ग्राम यह दवा एवं एक चंच शहद मिलकर सुबह शाम ले सकते हैं |
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