रक्तदान बेहद पुण्य का काम है क्योंकि आपके दान की गई खून की एक बूंद किसी को जिन्दगी दे सकती है | लेकिन अक्सर लोगों के मन में स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेकों गलतफहमियां घर कर लेती हैं एक प्रश्न जो बार बार लोगों के मन में उठता है वह यह है की क्या रक्तदान करने से कमजोरी आती है? हम इस वास्तविक दुनिया में देखते हैं की जब कभी किसी व्यक्ति को रक्त की जरूरत पड़ती है, तो उसके अनेक रिश्तेदार, मित्र एवं परिचित इस भय से कि कहीं उन्हें रक्तदान न करना पड़े, अकसर वहां से चुपके से चले जाने में ही अपनी भलाई समझते हैं । नाते रिश्तेदारों का चुपके से चले जाने का कारण आम जनमानस में फैली रक्तदान सम्बन्धी ग़लतफ़हमी है |क्योंकि आम लोगों को लगता है कि रक्तदान करने से उनके शरीर में कमजोरी आ जाएगी, और जिसकी भरपाई लंबे समय तक नहीं हो पायेगी |
क्या सच में रक्तदान करने से कमजोरी आती है
यदि हम रक्तदान सम्बन्धी सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे तो हम पाएंगे कि रक्तदान करना एक हानि रहित प्रक्रिया है, जिसमें किसी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता है और न ही किसी प्रकार की कोई कमजोरी आती है । ब्लड डोनेट करने यानिकी रक्तदान में मात्र 4 या 5 मिनट का समय लग सकता है । और ब्लड डोनेट करने के बाद आधे घंटे के विश्राम के बाद ब्लड डोनेट करने वाला व्यक्ति अपनी सामान्य दिनचर्या जारी रख सकता है । रक्तदाता को जितनी भूख है उसके अनुरूप सामान्य खुराक लेते रहने से ही दान में दिए गए रक्त की पूर्ति कुछ ही दिनों में हो जाती है । हालांकि वैज्ञानिक दृष्टीकोण के मुताबिक शरीर में रक्तदान के तत्काल बाद दान किए गए रक्त की प्रतिपूर्ति करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है । इसलिए कहा जा सकता है की ब्लड डोनेट करने से किसी प्रकार की कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती है बल्कि इसके तो फायदे होते हैं जिनका जिक्र हम इस लेख के अंत में करेंगे |
रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं
ध्यान रहे जब किसी मरीज को डॉक्टरों द्वारा खून चढ़ाने की मांग की जाती है तो उसका स्पष्ट सा मतलब है की उस मरीज को खून ही चढ़ेगा | कहने का आशय यह है की रक्त का कोई विकल्प नहीं होता इसलिए जिसे जान बचाने के लिए खून की आवश्यकता होगी डॉक्टरों द्वारा उसे खून ही चढ़ाया जायेगा तभी उस मरीज की जान बच पायेगी | चूँकि ब्लड डोनेट के लिए किसी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा सकता है । इसीलिए लोगों से अपनी इच्छा से ब्लड डोनेट करने की अपील की जाती है । मनुष्य के खून का कोई अन्य विकल्प नहीं है । और ध्यान रहे रक्त कोई दवाई नहीं है, जिसे किसी प्रयोगशाला या कारखाने में बनाया जा सके या बाजार से खरीदी जा सके ।कहने का आशय यह है की जानवरों का रक्त भी मनुष्य के काम में नहीं आता है ऐसे में केवल मनुष्य ही मनुष्य को बचा सकता है ।
रक्त की संरचना एवं कार्य:
रक्त यानिकी खून मनुष्य शरीर की अस्थिमज्जा, लीवर और तिल्ली में बनता है । यह शरीर के अलग अलग अवयवों को पोषण इत्यादि की दृष्टि से और एक दूसरे से संपर्क बनाए रखने वाला प्रधान वाहक कहलाता है । खून के माध्यम से ही सारे शरीर में ऑक्सीजन एवं पोषक तत्व पहुंचते हैं । शरीर में जो तापमान उपलब्ध होता है, वह रक्त प्रवाह के कारण उत्पन्न होने वाली ऊष्मा/गर्मी का ही परिणाम होता है । इसलिए रक्त के माध्यम से सारे शरीर की गतिविधियां प्रभावित होती हैं । सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 4 से 5 लीटर तक रक्त की मात्रा विद्यमान होती है । जबकि जैसा की हम सबको विदित है की रक्तदान में एक बार में 250 से 350 मिलीलीटर ही रक्त लिया जाता है । जो शरीर में उपलब्ध रक्त का लगभग 15 वां हिस्सा हो सकता है । एक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन माह के अंतराल में बेझिझक ब्लड डोनेट कर सकता है । आपको आपके आस पास ऐसे बहुत सारे व्यक्ति मिल जाएंगे जिन्होंने अपने जीवन में एक नहीं बल्कि एक सौ से भी अधिक बार रक्तदान किया होगा ।
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ब्लड डोनेट करने की जरुरत कब हो सकती है
यद्यपि इस प्रश्न का साधारण सा जवाब है की एक स्वस्थ्य व्यक्ति कभी भी अपने किसी नजदीकी ब्लड डोनेट सेण्टर में जाकर ब्लड डोनेट कर सकता है | लेकिन उसके द्वारा दान किये गए खून की लोगों को कब आवश्यकता हो सकती है उसका विवरण कुछ इस प्रकार से है |
- वह व्यक्ति जो अचानक से किसी दुर्घटना का शिकार हो गया हो और उसके शरीर से अधिक मात्रा में रक्तस्राव हो चुका हो |
- गर्भपात के दौरान महिला को रक्त की आवश्यकता हो सकती है |
- प्रसव प्रक्रिया में अधिक रक्तस्राव होने पर प्रसव के बाद भी सम्बंधित महिला को रक्त की आवश्यकता हो सकती है |
- मासिक धर्म के दौरान |
- आमाशय व आंतों के अल्सर रोग में भी खून की आवश्यकता हो सकती है |
- हीमोफिलिया में, आपरेशन में जब अधिक रक्तस्राव हो चुका हो |
- स्तब्धता (शॉक) और निपात (कोलेप्स) की मरणासन्न अवस्था में |
- ऑपरेशन के पहले जब रक्त में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कण 40 प्रतिशत से कम संख्या में रह गए हों |
- रक्तगत तीव्र संक्रमण में, उग्र रूप से जल जाने पर विषाक्त रक्त को बदलने के लिए भी खून की आवश्यकता हो सकती है |
- आर.एच. निगेटिव माताओं के शिशुओं की जीवन रक्षा के लिए तथा रोगी के घातक रक्ताल्पता से पीड़ित होने पर ।
रक्तदान से पहले इन बातों का ध्यान रखना है जरुरी सावधानियां:
ब्लड डोनेट करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी होता है जिन्हें रक्तदान की सावधानियां भी कहा जा सकता है | रक्तदान में अपनाये जाने वाली सावधानियाँ निम्नलिखित हैं |
- ध्यान रहे ब्लड डोनेट करने वाले व्यक्ति की उम्र 18 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए |
- केवल वही व्यक्ति जो उपर्युक्त age ग्रुप का हो और जिसका वजन 45 किलो से अधिक हो वही ब्लड डोनेट करने के योग्य माना जाता है |
- रक्त दानकर्ता को क्षय, मलेरिया, सिफलिस, गोनोरिया, एड्स, दमा और अन्य संक्रामक रोगों से पूर्णतया मुक्त होना चाहिए ।
- ध्यान रहे एक बार रक्तदान करने के बाद तीन माह बाद ही दूसरी बार रक्तदान किया जा सकता है ।
- रक्तदान के बाद चाय, कॉफी, फलों का रस, दूध, अंडा सेवन कर कुछ समय आराम करना चाहिए ।
- रक्तदान गर्भावस्था के दौरान, रक्त की कमी (एनीमिया), हेपैटाइटिस बी व सी, गुप्त रोगों से पीड़ित होने, नॉरकोटिक दवाओं के आदी होने पर भी नहीं करना चाहिए ।
- शोध के मुताबिक 4-6°C के तापमान पर रखे रक्त का उपयोग 35 दिन में कर लेना जरूरी होता है ।
रक्तदान करने के फायदे लाभ:
रक्तदान करने का सिर्फ यही लाभ नहीं होता है की आप किसी मनुष्य के जीवन को बचाने के लिए यह कर रहे हैं इसलिए पुण्य के भागीदार तो आप बनेंगे ही इसके अलावा ब्लड डोनेट करने के अन्य फायदे भी हैं जिनकी लिस्ट निम्नवत है |
- अमरीकी स्वास्थ्य क्षेत्र के शोधकर्ताओं की मानें तो ब्लड डोनेट करने से दिल के दौरे की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है ।
- इससे दिल से सम्बंधित अन्य बीमारियों के होने की संभावना भी कम हो जाती है ।
- एक अमरीकी डॉ. डेविस मेयस की स्टडी से यह इस बात का भी पता चला है की ब्लड डोनेट करने वालों की तुलना में ब्लड डोनेट न करने वाले लोगों को दिल का दौरा पड़ने की दुगुनी आशंकाएं होती हैं |
- रक्तदान करने का अगला फायदा यह है की ब्लड डोनेट के बाद शरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए मस्तिष्क रक्त’ उत्पादक अंगों को और अधिक सक्रिय कर देता है, जिससे इन अंगों की क्रियाशीलता बढ़ जाती है और ये स्वस्थ बने रहते हैं ।
- स्वस्थ व्यक्ति द्वारा रक्तदान करने पर कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि इसके फायदे ही होते हैं, इसलिए स्वस्थ व्यक्ति को ब्लड डोनेट अवश्य करना चाहिए ।
शायद अब आप रक्तदान करने के फायदों से अवगत हो चुके होंगे, अतः कभी भी मौका पड़ने पर या यूं ही अपनी इच्छा से ब्लड डोनेट करने में संकोच बिलकुल नहीं करना चाहिए |याद रखें की आपके रक्त की एकएक बूंद अमूल्य है, जो किसी को एक नया जीवन देने का सामर्थ्य रखती है ।