विटामिन B6 की उत्पति की बात करें तो 1926 में जे. गोल्डबर्जर तथा आर. डी. लिली ने चूहों को ऐसी खुराक पर रखा जिसमें पेलेग्रा बीमारी का निवारण करने वाले कारक कम थे । इस कारण चूहों को चर्म रोग (dermatitis) हो गया था । बाद में पी. ग्योर्जी ने अवलोकन किया कि इसी कारक ने चूहों की त्वचा में होने वाले चर्मरोग अर्बुद (skin lesion) की वृद्धि को भी रोका । उसने सुझाव दिया कि इस कारक को विटामिन B6 कहा जाये । गोल्डबर्जर द्वारा पेलेग्रा-प्रतिरोधी कारक, रिबोफ्लेविन तथा विटामिन बी6 को अलग-अलग तत्वों के रूप में दर्शाया गया । 1938 में तीन अलग-अलग अनुसंधान समूहों ने स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुये विटामिन बी6 अलग किया । इसे एस. ए. हैरिस तथा के. फॉल्कर्स ने 1939 में संश्लेषित किया ।
पाइरिडोक्सिन या विटामिन B6 क्या है (What is Vitamin b6 in Hindi)?
विटामिन B6 सफेद स्फटिक पदार्थ है । यह पानी तथा एल्कोहल में घुलनशील होता है । इस विटामिन को नष्ट करने वाले कारको की लिस्ट में दीर्घकालिक भंडारण, खाद्य-सामग्री को डिब्बों में बंद रखना, मांस को भूनना या पकाना, भोजन-प्रक्रिया, एल्कोहल तथा ओस्ट्रोजन (oestrogen) इत्यादि शामिल हैं | विटामिन B6 मुख्यरूप से जेजुनम (छोटी आंत का एक भाग) में अवशोषित होता है । लेकिन यह छोटी आंत के इलियम में निष्क्रिय डिफ्यूजन (फैलने) द्वारा भी अवशोषित होता है । हालांकि बड़ी आंत में बैक्टीरिया विटामिन बी6 के साथ संश्लेषण करते हैं लेकिन यह अधिक मात्रा में अवशोषित नहीं किये जाते हैं । इस विटामिन की कम मात्रा ही शरीर में एकत्र रहती है । यह विटामिन विभिन्न ऊतकों में वितरित होता है । यह मुख्यरूप से गुर्दों द्वारा उत्सर्जित होता है और गौण रूप से मल तथा पसीने में भी ।
विटामिन B6 के कार्य:
पाइरिडोक्सिन प्रोटीन तथा वसा विशेषकर वसायुक्त एसिड के पाचन में सहायता देता है । यह अनेक इंज़ाइमों तथा इंजाइम तंत्रों को सक्रिय बनाता है । यह शरीर के रोगनाशक द्रव्यों के उत्पादन में योगदान देता है जो बैक्टीरिया द्वारा होने वाले रोगों से रक्षा करते हैं । पाइरोडोक्सिन स्नायु तंत्र तथा मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद देता है । यह संतानोत्पत्ति प्रक्रिया तथा स्वस्थ गर्भाशय के लिये आवश्यक है । विटामिन B6 नामक यह विटामिन स्नायविक तथा त्वचा सम्बन्धी व्याधियों की रोकथाम करता है, उच्च कोलेस्ट्रोल, कुछ प्रकार के हृदय रोगों तथा मधुमेह के विरुद्ध कार्य करता है । यह दांतों को सड़ने से बचाता है । विटामिन बी6 शरीर में सोडियम तथा पोटाशियम के संतुलन को नियमित बनाता है जो सामान्य शारीरिक कार्यों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं । यह विटामिन बी12 के अवशोषण के लिये और हाइड्रोक्लोरिक एसिड एवं मैग्नीशियम के उत्पादन के लिये भी आवश्यक होता है ।
विटामिन B6 (पाइरिडोक्सिन) के स्रोत (Sources of Vitamin B6 in Hindi):
पाइरीडोक्सिन विटामिन B6 पौधों से प्राप्त होने वाले भोजन में खमीर, सनफ्लावर के बीज, गेहूं के जीवाश्म, सोयाबीन तथा अखरोट में सर्वाधिक एवं समृद्ध मात्रा में पाया जाता हैं । दालें, लीमा बीन तथा अन्य सब्ज़ियों में यह उचित मात्रा में मिलता है । इसके अलावा अन्य स्रोतों की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है |
अनाज जिनमे विटामिन B6 पाया जाता है |
- भुना गेहूं जीवाश्म
- भूरा चावल
- गेहूं का आटा
- जौ
दालें तथा फलियाँ जिनमे विटामिन B6 पाया जाता है |
- सूखा सोयाबीन
- पिसा सोयाबीन
- सूखी मसूर
- लीमा बीन्स (सेम फली)
फल सब्जियां जिनमे विटामिन B6 पाया जाता है |

- पालक
- पत्तागोभी
- आलू
- फूलगोभी
- शकरकंदी
- केला
- एवाकोडास
- आलूबुखारा
- किशमिश
सूखे मेवे तथा तिलहन
- सूरजमुखी-बीज दालें
- अखरोट
- ताज़ा चेस्टनट (शाहबतूत)
विटामिन B6 की कमी के लक्षण (Deficiency of Vitamin b6 in Hindi)
- विटामिन B6 की कमी से रक्ताल्पता यानिकी खून की कमी हो सकती है |
- ओडीमा, मानसिक तनाव हो सकता है |
- त्वचा-सम्बन्धी व्याधियां या रोग हो सकते हैं ।
- होंठों के कोनों में फटन, मुंह में दुर्गंध इत्यादि भी हो सकती है |
- घबराहट, एक्ज़ीमा, गुरदे की पथरी भी हो सकती है |
- विटामिन B6 की कमी से आंत का शोथ, पित्ताशय (pancreas) की क्षति, अनिद्रा, दांतों की सड़न, चिड़चिड़ापन, इत्यादि लक्षण भी उजागर हो सकते हैं |
- पेशीय नियंत्रण में कमी, माइग्रेन सिरदर्द जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं |
- बुढ़ापा-सम्बन्धी बिमारियां तथा असामयिक मानसिक कमज़ोरी आदि भी विटामिन B6 की न्यूनता के परिणाम हैं ।
विटामिन B6 के विभिन्न रोगों में फायदे (Benefits of Vitamin b6 in Hindi):
विटामिन B6 निम्न रोगों के ईलाज में बेहद फायदेमंद सिद्ध होता है |
विटामिन B6 के मधुमेह में फायदे :
इस बीमारी से पीड़ित सभी लोग जेनथुरेनिक एसिड (xanthurenic acid) का बड़ी मात्रा में उत्सर्जन करते हैं जो विटामिन B6 की कमी का संकेत होता है । प्रयोगों ने दर्शाया है कि विटामिन बी6 की 50 मि.ग्रा. की मात्रा प्रतिदिन मधुमेह के रोगियों को देने से उनमें मूत्रीय उत्सर्जन की मात्रा में तीव्र कमी आती है ।
विटामिन B6 के बवासीर में फायदे :
बवासीर के ईलाज में विटामिन B6 को मूल्यवान पाया गया है । विटामिन बी6 की कमी से पीड़ित व्यक्तियों पर प्रयोग किए गए तथा यह पाया गया कि वह रक्तप्रवाह वाली बवासीर से परेशान थे । जब उन्हें विटामिन बी6 की 10 मि.ग्रा. मात्रा प्रत्येक भोजन के बाद दी गयी तो उन्हें जल्द-ही आराम मिला । स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान विटामिन बी6 की सामान्यतया कमी हो जाती है, इस विटामिन की कमी के कारण उनमें बवासीर हो सकती है जो इस काल में एक सामान्य रोग है ।
नवजात शिशुओं तथा स्त्रियों में ऐंठन रोग में फायदेमंद होता है विटामिन B6:
वह नवजात शिशु जिन्हें पाउडर का दूध दिया जाता है । उनमें सामान्यतया विटामिन B6 की कमी पायी जाती है । इसकी कमी से बिना बुखार के ऐंठन हो जाती है । 0.5 से 10 मि.ग्रा. की विटामिन बी6 की खुराक प्रतिदिन तीन बार लेने से ऐंठन में आराम मिलता है । यह भी पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान कुपोषित महिलाओं में सामान्यतया विटामिन बी6 की कमी हो जाती है जिसका कारण भ्रूण की अत्यधिक मांग होती है । इस कमी से भ्रूण के केंद्रीय स्नायु तंत्र के विकास पर प्रभाव पड़ता है । इसके कारण एपिलेप्सी या मिर्गी के दौरे आते हैं । ऐसी सभी परिस्थितियों में, जहां पर ऐंठन का कोई संभावित या ज्ञात कारण नज़र नहीं आता, विटामिन B6 के 50 मि.ग्रा.का प्रयोग, दिन में तीन बार बहुत लाभदायक है ।
योनि रक्तप्रवाह में विटामिन B6 के फायदे :
युवतियों में दीर्घकालिक अनियमितरूप से होने वाले योनि रक्तप्रवाह में विटामिन B6 का ईलाज सफल पाया गया है । विटामिन बी6 ओस्ट्रोजन की सक्रियता को तथा रोमछिद्रों को पकने से रोकता है, जिससे रक्तप्रवाह पर नियंत्रण हो जाता है ।
तनाव तथा अनिद्रा में फायदे :
विटामन बी6 का प्रयोग केंद्रीय स्नायु तंत्र को शांत करने में लाभदायी है जिससे साइकोन्यूरोसिस (psychoneurosis), मानसिक चिड़चिड़ापन और तनाव, कमज़ोरी, अनिद्रा से बचने में मदद मिलती है । इन सभी अवस्थाओं में, विटामिन B6 की 40 मि.ग्रा. की खुराक दिन में तीन बार देनी चाहिए ।
सुबह और यात्रा के दौरान दिल कच्चा होना :
गर्भावस्था के दौरान सुबह-सुबह चक्कर आना, उल्टी होना आदि में विटामिन बी6 का प्रयोग लाभदायक पाया गया है । इसको शांत करने से यह यात्रा के दौरान भी कम हो जाता है । इस विटामिन के अत्यधिक संतोषजनक परिणामों को प्राप्त करने के लिये, इसे गर्भावस्था के दौरान भी बहुत सुबह 40 मि.ग्रा. की मात्रा में दिया जा सकता है तथा यात्रा से एक घंटा पहले भी । यदि बीमारी की भावना बनी रहती है तो इस खुराक को चार घंटे बाद दोबारा दिया जा सकता है ।
विटामिन B6 के सेवन में सावधानियां :
विटामिन B6 में विषाक्तता कम होती है । लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि बी6 को कभी भी लिया जा सकता है । विटामिन बी6 को बड़ी मात्रा में तब तक नहीं लेना चाहिए जब तक रोगी में इसका अभाव न पाया जाये । ऐसे रोगी जिन्हें विटामिन B6 की बड़ी खुराक दी जा रही है उनमें एक संभावित लक्षण रात्रि में बेचैनी होना हो सकता है |
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